Rains hit wheat crop: बेमौसम बारिश ने बिगाड़ा गेहूं का खेल, मंडियों मैं दिखाई देना लगा है इसका असर अब ऐसे महंगी हो जाएंगी खाने- पीने की ...


भोपाल , मध्य पदेश में हुई अतिवृष्टि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण प्रदेश में सबसे अधिक गेहूं की फसल खराब हुई है । यही हाल देश के कई राज्यों का है । इसका असर इन दिनों उत्तर और मध्य भारत की मंडियों में देखने को मिल रहा है । मंडियों में पहुंच रही गेहूं की फसलों में गुणवत्ता में भारी गिरावट देखी जा रही है । बेमौसम हुई बारिश और ओलों के कारण इन फसलों को भारी नुकसान हुआ है । इसी कारण की गेहूं की कीमत 1,900 से 2,050 रुपये क्विंटल मिल रही है , जो वित्त वर्ष 2023-24 के लिए तय 2,125 प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम है । हालांकि जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में गेहूं की स्थिति थोड़ी सुधरने की उम्मीद है । गेहूं में नमी कम होने पर उसकी बेहतर कीमत मिल सकेगी । जबकि बाजार में इस बार गेहूं निर्मित होने वाले सामान थोड़े महंगे हो सकते हैं ।

रबी की अन्य फसल जैसे चने के बारे में कारोबारियों का कहना है कि बेमौसम हुई बारिश के कारण कुछ फसलों को नुकसान हुआ है । उनकी उपज 10 से 15 फीसदी तक घटी है । इसकी वजह से इसकी कीमत 4,600 से 4,700 रुपये प्रति क्विंटल की जगह पिछले कुछ दिनों से कीमत इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,335 रुपये प्रति क्विंटल के करीब पहुंच गई है । फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि अगर कोई किसान ऐसा गेहूं ला रहा है , जो बारिश से प्रभावित नहीं है और वह अच्छी गुणवत्ता का है तो उसकी कीमत मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में आराम से 2,500 से 2,600 रुपये प्रति क्विंटल मिल रही है । पिछले सप्ताह तक गेहूं में नमी की मात्रा करीब 15 फीसदी थी । लेकिन मौसम ने साफ होने के बाद यह घटकर 11.5 से 12 फीसदी रह गई है । वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का कहना है कि बेमौसम बारिश और ओलों से मप्र में सबसे अधिक गेहूं प्रभावित हुआ है । अगर अगले कुछ दिनों में मौसम साफ हो जाता है और अच्छी धूप होती है , तो ही गेहूं साफ हो जाएगा और गुणवत्ता में गिरावट कम हो जाएगी । बारिश से प्रभावित राज्यों के किसानों को चाहिए कि वे अपने खेतों से तत्काल प्रभाव से पानी निकलें , जिससे जमींदोज हुई फसल को बचाया जा सके और उन्हें जल्दबाजी में कोई फसल नहीं काटनी चाहिए ।

मप्र समेत कई राज्यों की फसलें हुई खराब कृषि मंत्रालय ने चालू फसल वर्ष 2022-23 जून - जुलाई में रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है । पिछले साल , बेमौसम बारिश और गर्मी की लू चलने के कारण घरेलू गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई , जिससे सरकार को बढ़ती घरेलू कीमतों को रोकने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा । राज्यों के आंकड़ों के अनुसार , खराब मौसम के कारण मध्यप्रदेश , राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगभग 5.23 लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल खराब होने का अनुमान है । पंजाब और हरियाणा में नुकसान का आकलन किया जा रहा है ।

10 फीसदी से अधिक फसलों को हुआ नुकसान 
धर , केंद्र सरकार का कहां है कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में हाल में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि गेहूं की करीब 8.10 फीसदी फसल खराब होने का अनुमान है । लेकिन देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में बेहतर उपज की संभावना से उत्पादन में होने वाले नुकसान की भरपाई की उम्मीद है । कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार इस साल देश का कुल गे उत्पादन रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन पर पहुंच जाएगा । बारिश से 8.10 फीसदी गेहूं की फसल को नुकसान होने का अनुमान उन क्षेत्रों में लगाया गया है , ज ओलावृष्टि , आंधी और तेज हवाओं के कारण पौधों के जमीन पर गिरने से हुआ । इस साल देश में कुल 3.4 करोड़ हेक्टेयर गेहूं बोए जाने के मद्देनजर गेहूं क ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है । बेमौसम बारिश से अधिक क्षेत्र में फसल को फायदा हुआ है और देर से बुवाई वाले क्षेत्रों में फसल की पैदावार 10.15 फीसद अधिक होने की संभावना है । मध्यप्रदेश और राजस्थान में 80 फीसदी गेहूं की फसल कट चुकी है । इसलिए इन दोनों राज्यों में फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है । राज्यों में उत्तर प्रदेश , पंजाब और हरियाणा में गेहूं का लगभग 25 फीसदी क्षेत्र देर से बोया गया था और इन स्थानों पर बेमौसम बारिश से फसल की वृद्धि में मदद मिल रही है ।

महंगाई पर पड़ेगा असर

बता दें कि गेहूं की सबसे अधिक खेती उत्तर भारत में ही होती है. उत्तर प्रदेश के बाद पंजाब और हरियाणा के किसान सबसे अधिक गेहूं उगाते हैं. इसके बाद राजस्थान और मध्य प्रदेश का स्थान आता है. अगर इन राज्यों में ही बेमौसम बारिश से सबसे अधिक गेहूं की फसल की बर्बादी हुई है, तो इसका असर महंगाई पर जरूर पड़ सकता है.

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