• मप्र में शिवराज सिंह , राजस्थान में वसुंधरा राजे भी दौड़ में शामिल • मप्र में ओबीसी सीएम बना तो छग में आदिवासी चेहरे को प्राथमिकता में
भाजपा किसी नए चेहरे को नेतृत्व सौंपेगी ।
सात सांसदों और तीन केंद्रीय मंत्रियों को मैदान में उतारने से इस कयास को और बल मिला था लेकिन भाजपा को जितनी बड़ी सफलता मिली है , उसमें शिवराज सिंह चौहान सरकार की लाड़ली बहना जैसी लोकप्रिय योजनाओं का भी योगदान माना जा रहा है । खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभाओं में शिवराज सरकार के कामों का उल्लेख कर रहे थे । इससे शिवराज सिंह चौहान के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की संभावना बढ़ ● गई है , लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी उनके रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट बन सकती है । शिवराज सिंह चौहान के बाद नरेंद्र सिंह तोमर , प्रह्लाद पटेल और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के नामों की भी चर्चा शुरू हो गई है । लेकिन ओबीसी मुद्दे के राजनीति के केंद्र में आते हुए देखकर किसी ओबीसी नेता को ही मुख्यमंत्री बनाने पर जोर दिया जा रहा है । ऐसी स्थिति में प्रह्लाद पटेल पहली पसंद बन सकते मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री चुनते समय छत्तीसगढ़ के समीकरण को भी ध्यान में रखा जाएगा । दोनों राज्यों में से एक में ही ओबीसी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा । मध्य प्रदेश में ओबीसी मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में छत्तीसगढ़ में भाजपा किसी आदिवासी चेहरे पर दांव खेल सकती है । ऐसे में केंद्रीय मंत्री रह चुके विष्णुदेव साय , प्रदेश अध्यक्ष विष्णु साव प्रबल दावेदार हो सकते हैं । मध्य प्रदेश में ओबीसी के अलावा दूसरे वर्ग से मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में ओपी चौधरी का नाम आगे आ सकता है । माना जा रहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के चुनाव में भाजपा राजपूत चेहरे को अहमियत देगी । ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की दावेदारी बरकरार है । चुनावी सभा में जिस तरह से प्रधानमंत्री ने माला के बीच में वसुंधराराजे के साथ फोटो खिंचवाई थी , उसे उनकी दावेदारी की मजबूती के रूप में देखा जा रहा है । इसके अलावा राज्यवर्धन सिंह राठौर के नामों पर विचार किया जा सकता है । दिया कुमारी का नाम भी खारिज नहीं किया जा रहा है ।
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