हालांकि 12 मंत्रियों की हार हुई जिसे व्यक्तिगत एंटी - इनकम्बेंसी कहा जाए तो ठीक होगा । पांच साल पहले जिस भाजपा को मध्य प्रदेश में 109 सीटें प्राप्त हुई थीं , उसने यह आंकड़ा 160 के पार ले जाकर दिखा दिया कि मोदी की गारंटी पर मध्य प्रदेश को पूरा भरोसा है । हिंदी पट्टी में मोदी पर भरोसाः भाजपा ने अगले लोकसभा चुनाव से पहले हिन्दी पटटी के तीन बड़े राज्यों मध्यप्रदेश , राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बड़ी जीत के साथ 2024 के महासंग्राम के लिए अशोक अपनी सियासी स्थिति बेहद मजबूत कर ली है । वहीं उत्तर भारत के राज्यों में करारी शिकस्त से मायूस कांग्रेस को दक्षिणी राज्य तेलंगाना में जरूर जीत का सहारा मिला है जहां पार्टी ने चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति के 10 साल के शासन का अंत कर दिया है । राजस्थान में भी भाजपा ने रिवाज नहीं बदलने दिया और मुख्यमंत्री गहलोत की जादूगरी भी कांग्रेस को करारी पराजय से नहीं बचा पायी । सेमीफाइनल माने जा रहे इन चुनावों के नतीजों ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस ही नहीं उसकी अगुवाई वाले आइएनडीआइए गठबंधन के लिए फाइनल मुकाबले की राह बेहद चुनौतीपूर्ण है और जनता का नब्ज थामने के लिए उसे अपनी रीति नीतियों के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का जवाबी विकल्प तलाशने के लिए अभी भारी सियासी मशक्कत करनी पड़ेगी । मिजोरम के नतीजे सोमवार विपक्षी को आएंगे मगर रविवार को चार राज्यों के परिणाम में भाजपा ने 3-1 से बढ़त लेकर आम चुनाव के संग्राम के लिए अपनी सियासत को मजबूत आधार पहले ही दे दिया है । भाजपा के लिए हिन्दी पटटी के तीन अहम राज्यों में जीत इस लिहाज से भी बड़ी है कि इसमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उसने कांग्रेस को सीधी लड़ाई में बड़ी शिकस्त देकर उससे सत्ता छीन ली है । वहीं राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता बदलने का रिवाज इस बर पलटने देने का जादू दिखाने का अशोक गहलोत का दावा हवा - हवाई निकला । भाजपा ने 199 सीटों पर हुए चुनाव में 115 सीटें हासिल कर आसानी से पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया तो कांग्रेस 69 सीटों तक ही सिमट कर रह गई है । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की बड़ी हार बेहद अप्रत्याशित इसलिए भी रही कि न केवल पार्टी ने इसकी कल्पना की थी बल्कि तमाम एक्जिट पोल में किसी ने भाजपा की जीत क अनुमान नहीं लगाया था ।
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