पाला बदल से भी नहीं मिला लाभ इधर के रहे , न उधर के रहे दलबदल का खेल हासिल नहीं कर पाए टिकट राजनीतिक भविष्य अधर में


इंदौर । चुनाव नजदीक आते ही टिकट मिलने की संभावना को लेकर राजनेताओं में दूसरे दलों में आवागमन शुरू हो जाता है । मध्य प्रदेश में चूंकि भाजपा - कांग्रेस ये दो ही दल मजबूत स्थिति में हैं , इसलिए सबसे ज्यादा आवागमन ( जिसे पाला बदल भी कह सकते हैं ) भी इन्हीं दलों में नजर आया । टिकट की चाह में दल बदलने का खेल कम ही सही , मगर इनमें कुछ वैसे भी रहे , जिन्होंने दल तो बदल लिया , मगर टिकट नहीं हासिल कर पाए । ऐसी हालत में उनके सामने सुनहरे राजनीतिक भविष्य का दायरा सिकुड़ गया है और राजनीतिक असमंजस की एक गहरी स्थिति हमराह हो गई है । बुरहानपुर जिले के नेपानगर विधानसभा क्षेत्र की नेत्री सुमित्रा कास्डेकर के साथ इधर के रहे , न उधर के रहे जैसी स्थिति ही गई है । वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस के टिकट से विधायक बनी थीं । एक साल बाद ही उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था । हालांकि , उपचुनाव में भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था और वे चुनाव भी जीत गई थीं , लेकिन इस बार भाजपा ने उन्हें हाशिए पर डाल दिया और पूर्व विधायक मंजू दादू को नेपानगर से प्रत्याशी बना दिया है । लिहाजा , उनके राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है । रतलाम विधानसभा जिले की आलोट क्षेत्र से इस बार कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू निर्दलीय मैदान में उतरने की तैयारी में हैं । गुड्डू 2018 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर भाजपा में शामिल हो गए थे और 2020 में फिर से कांग्रेस में आकर सांवेर से तुलसी सिलावट के खिलाफ उपचुनाव लड़े , लेकिन जीत नहीं पाए । इस बार कांग्रेस ने सांवेर से उनकी बेटी रीना बौरासी को टिकट दिया है , जबकि आलोट में गुड्डू के दावे पर ध्यान नहीं दिया गया । 
इससे नाराज होकर समर्थकों के साथ बैठक कर गुड्डू ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है । 27 अक्टूबर को उन्होंने दो नामांकन पत्र दाखिल किए हैं , एक पार्टी से और एक निर्दलीय । ग्वालियर चंबल अंचल के जिले में कोलारस सीट से सीट से भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने चुनावों की घोषणा से ठीक पहले कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी । कोलारस के अलावा उन्होंने शिवपुरी विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट के लिए दावेदारी की थी , परंतु पार्टी ने कहीं शिवपुरी विधानसभा से भी टिकट नहीं दिया । पिछोर से विधायक केपी सिंह को यहां से टिकट दिए जाने के बाद जब उनकी आस टूट गई तो उन्होंने पार्टी के प्रति नाराजगी भी जताई । हालाकि , आलाकमान का रुख भांपते हुए अभी वे 30 अक्टूबर तक इंतजार के मूड में हैं । भिंड से बसपा के टिकट पर 2018 में जीते विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने लगभग एक साल पहले भाजपा का दामन थामा था , लेकिन पार्टी ने उनके घुर विरोधी नरेंद्र सिंह कुशवाह को टिकट दे दिया । अब वे • फिर से बसपा या निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे मुरैना विधानसभा से दो बार बसपा और एक बार आप से चुनाव लड़ चुके रामप्रकाश राजौरिया टिकट की चाह में कांग्रेस में आए , लेकिन यहां भी उन्हें टिकट नहीं ' मिला । अभी वे फिलहाल घर बैठ गए हैं । अंचल में मंत्री ओपीएस भदौरिया (भिंड) , विधायक रक्षा सिरोनियां (दतिया) , पूर्व विधायक मुन्ना लाल गोयल ( ग्वालियर ) सहित कई नेता ऐसे हैं , जिन्होंने तीन साल पहले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की । उपचुनाव में तो इन्हें टिकट मिला , पर अब उन्हें मायूस होना पड़ा है । हालांकि , फिलहाल वे पार्टी हित में अधिकृत प्रत्याशी के लिए ही काम करने का दावा कर रहे हैं ।


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