वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा बनाए गए वीडियो मे साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि वन माफिया वनकर्मियों की गाड़ी के पीछे भागते हुए पत्थर फेंक रहे हैं। मुठभेड़ में वन विभाग के दो ड्राइवर समेत 3 लोग घायल हो गए। 4 गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हुईं। वनकर्मियों ने हिम्मत दिखाते हुए 2 लकड़ी तस्करों को भी धरदबोचा। बौखलाए आरोपियों ने साथियों को छुड़वाने के लिए पथराव किया। वनकर्मियों का पीछा भी किया। जान बचाने के लिए वनकर्मी लटेरी से 35 किमी दूर गुना जिले के मकसूदनगढ़ थाने पहुंचे। यहां भी वन माफिया ने अपने सहयोगियों की मदद से थाने पहुंचकर उन्हें घेर लिया। रेंजर मुकेश केन ने एक गाड़ी मकसूदनगढ़ और एक सुठालिया थाने भेजी। पुलिस मौके पर पहुंची तब टीम निकल पाई।
पत्थर और कांच की बोतलों से हमला किया
लटेरी रेंजर मुकेश केन ने बताया, सूचना मिली थी कि जंगल में पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। 30 लोगों की टीम और 5 फोर व्हीलर से वन अमला गिरोह को पकड़ने पहुंचा। मकसूदनगढ़ के पास वन माफिया को घेर कर उनके 2 साथियों को पकड़ लिया। बौखलाए आरोपियों ने पथराव शुरू कर दिया। गिरोह ने करीब ढाई घंटे तक टीम पर पथराव और कांच की बोतलों से हमला किया। सिरोंज का वन अमला व लटेरी, मकसूदनगढ़ और सुठालिया का पुलिस बल पहुंचा, तब कहीं टीम की जान बच पाई। रेंजर मुकेश केन ने बताया कि हमने बायपास पर तस्करों को घेरा तो उन्होंने पथराव कर दिया। हमलावरों की संख्या अधिक थी। हमने डायल-100 पर सूचना दी। एक गाड़ी को मकसूदनगढ़ थाने भेजा। दूसरी सुठालिया थाने भी भेजी। हम करीब 3 घंटे तक डटे रहे। जब फोर्स आया, तब वहां से निकले। हमले के दौरान वन विभाग ने विदिशा के लटेरी जिला निवासी दो तस्कर बबलू पुत्र मूलचंद सहरिया और राजू पुत्र भगवान सिंह गुर्जर निवासी काे गिरफ्तार किया है। इसके अलावा 4 बाइक और 58 सिल्ली कीमत 1 लाख 70 हजार भी जब्त की हैं।
वन विभाग को हथियार चलाने की अनुमति नहीं
सरकार की ओर से वनकर्मियों को हथियार तो दिए गए, लेकिन उन्हें चलाने की अनुमति नहीं दी। पिछले साल वन माफिया और वन विभाग की टीम में टकराव हो गया था। उसके बाद पथराव से बचने के लिए एक वनकर्मी ने फायर कर दिया था। इसमें एक लकड़ी चोर की मौत हो गई थी। मामले में वनकर्मियों पर कार्रवाई की गई और धारा 302 (गलत इरादे से हत्या करना) लगाकर जेल में डाल दिया।
राजस्थान के मनोहर थाना में सागौन की मंडी
मकसूदनगढ़ के पास पार्वती नदी के किनारे से वन माफिया राजस्थान के मनोहर थाना पहुंच जाते हैं। इस जगह सागौन की लकड़ी की बड़ी मंडी है। यहां सागौन की सिल्ली बेच दी जाती है। यह काम भील जाति गिरोह बनाकर करता है। वन माफिया की वजह से लटेरी का जंगल अब साफ होने वाला है।
सरकार की एकतरफा कार्रवाई, वनकर्मी नाराज
इस एक तरफा कार्रवाई से नाराज मध्यप्रदेश के वनकर्मियों ने हथियार सरकार को वापस कर दिए। उन्होंने मांग की थी कि जब जान पर बन जाए तब हथियार चलाने की अनुमति दी जाए। सरकार वन माफिया के साथ खड़ी दिखाई दी। मारे गए युवक के परिवार को 5 लाख का मुआवजा दिया। वनकर्मी आज भी अदालत में केस लड़ रहा है। इन हालात में जंगल नहीं बच सकता। कुछ ही साल में पूरी तरह से जंगल काट कर खत्म कर दिया जाएगा। अगर जंगल बचाना है, तो वह विभाग को शस्त्र चलाने के अधिकार देने ही पड़ेंगे। वन कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर वन की रक्षा नहीं कर सकते।
मौजूदा नीति में परिवर्तन करने की मांग
वन एवं वन्य प्राणी कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष देवेंद्र राजपूत ने कहा, 'वनकर्मियों पर लगातार हमले हो रहे हैं। ऐसे में जंगल कैसे बच पाएगा? सरकार को मौजूदा नीति में परिवर्तन करके वन और वन्य प्राणी रक्षा के लिए शस्त्र चलाने का अधिकार वनकर्मियों को देना चाहिए।'
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