नर्सिंग घोटाले में उलझा 40 हजार छात्रों का भविष्य

भोपाल । प्रदेश के 40 हजार नर्सिंग छात्र छात्राओं के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है । नर्सिंग घोटाले का मामला हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में विचाराधीन है । 26 जुलाई को कोर्ट में सीबीआई रिपोर्ट पेश तीन साल से परीक्षा का इंतजार कर रहे नर्सिंग छात्र करेगी । इसी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट निर्णय ले सकता है । लिहाजा , छात्रों की नजर भी सीबीआई की रिपोर्ट पर टिकी है । हालत ये है कि जिन छात्रों को अब तक डिग्री मिल जानी चाहिए थी , वे फर्स्ट ईयर की परीक्षा का ही इंतजार कर रहे हैं । जांच और नर्सिंग कॉलेजों की मनमानी के बीच छात्र पिस रहे हैं । क्योंकि नर्सिंग कॉलेज खुलकर कहते हैं कि वे मानकों का पालन नहीं करेंगे , क्योंकि उनके पैसे तो अफसरों की जेब भरने में खत्म हो जाते हैं । ऐसे ही करीब 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई कर रही है । जानकारी के अनुसार कोरोनाकाल के तीन साल में अवसर का लाभ उठाते हुए प्रदेश में जमकर नर्सिंग कॉलेज खुले । इस दौरान बीएससी और एमएससी नर्सिंग के 322 नए कॉलेज खुले । फर्जी फैकल्टी और बिना इन्फ्रास्ट्रक्कर के नर्सिंग कॉलेज संचालित होने लगे । इन कॉलेजों इस खूब एडमिशन भी हुए हैं । जब नर्सिंग कॉलेजों का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ , तो वर्ष 2019 से 2022 तक खुले नर्सिंग कॉलेजों में सबसे ज्यादा गड़बड़ियां सामने आई हैं । अब इनमें हुए फर्जीवाड़े की जांच चल रही है ।
कई कॉलेज कागजों पर चल रहे 
असल में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों ने कागजों में खुद का यहां 100 या इससे ज्यादा बेड की जानकारी दी हुई थी । कोविड के समय अफसरों ने इनसे संपर्क करके मरीजों के लिए बेड मांगे । इसके बाद पोल खुल गई । जांच के दौरान अनियमितताएं सामने आने लगीं । फिर कोर्ट में भी याचिका लगाई गई । व्यापमं की तर्ज पर ही मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाला सामने आया । पता चला कि नर्सिंग काउंसिल की तरफ से ऐसे कॉलेजों को भी मान्यता दी गई , जो दूर - दूर तक मानकों को पूरा नहीं करते । कई कॉलेज एक मकान में या कुछ कमरों में संचालित थे , तो कई सिर्फ कागजों में चल रहे थे । हाईकोर्ट ने इसकी जांच सीबीआई को सौंपी । साथ ही , नर्सिंग परीक्षाओं पर भी रोक लगा दी । कोर्ट में राज्य सरकार , मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी और मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल परीक्षाओं पर रोक हटाने के ही पक्ष में रही । मगर , हाईकोर्ट का रुरव सख्त रहा है । पिछले महीने हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह ने फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने की बात कही थी । कोर्ट ने ये भी कहा कि इन कॉलेजों को जरिए ऐसे लोगों को भी परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाती है , जिन्हें नर्सिंग का चएनज भी नहीं आता । इंडियन नर्सिंग काउंसिल के नियमानुसार बीएससी नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए संस्था के पास कम से कम 100 बेड का हॉस्पिटल होना जरूरी है । आदिवासी और पहाड़ी इलाकों में इसके अलग नियम हैं ।

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