Madhya Pradesh Uniform Scam: मध्य प्रदेश में हुए एक के बाद एक घोटाले के बाद अब एक और नया घोटाला सामने आया है मध्यप्रदेश में इस बार का घोटाला बच्चों की यूनिफार्म से जुड़ा हुआ दरअसल यूनिफार्म घोटाले में ठेकेदारों पर आरोप लग रहे हैं कि उनके द्वारा 45 लाख बच्चों को घटिया क्वालीटी की ड्रेस दी गई, इतने बड़े पैमाने पर नियमों को दरकिनार करते हुए बड़ा घोटाला किया गया
मध्यप्रदेश में बच्चों को घटिया क्वालीटी का ड्रेस दिए जाने का मामला सामने आया है. मध्यप्रदेश में इस मामले के उजागर होने के बाद सरकार सख्त हो गई है. मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस (Iqbal Singh Bains) ने स्कूल शिक्षा और पंचायत विभाग को इस मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं. दरअसल, शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) सरकार ने स्कूली बच्चों के लिए ड्रेस का कपड़ा खरीदकर उसे महिला समुहों से सिलवाकर बाटने के आदेश दिए थे.
स्व सहायता समूह से बनवाने के लिए तो निर्देश खरीद कर करवा दिया घोटाला
दरअसल प्रदेश में सहायता समूह को मजबूत और आर्थिक लाभ देने के लिए प्रदेश के छोटे- छोटे- समूह के माध्यम से ड्रेस सिलाई जानी थी। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से सिलाई की वजह खरीद ली गई ड्रेस के कपड़े के लिए 220 रुपये तय किए थे. साथ ही कपड़ों की सिलाई के लिए सरकार की ओर से 70 रुपये तय किए गए थे. यानी कपड़े से लेकर सिलाई तक हर ड्रेस की लागत 290 रुपये थी. सरकार की ओर से राज्य शिक्षा केंद्र और राष्ट्रीय अजीविका मिशन के अधिकारियों को बुनकर संघ से कपड़ा खरीदकर और महिला समूहों से उन कपड़ों की ड्रेस सिलवाकर 130 दिनों में स्कूली बच्चों में बाटने का आदेश दिया था.
घटिया क्वालीटी की ड्रेस खरीदी गई
अब मध्यप्रदेश में प्रदेश की वर्तमान सरकार को इस बात की शिकायत मिली है कि जिम्मेदार अधिकारियों ने ड्रेस सिलवाया नहीं बल्कि उसे बाजार से खरीद लिया. बाजार से घटिया क्वालीटी की ड्रेस खरीदी गई. सरकार की ओर से ड्रेस की जो लागत तय की गई थी, उससे 100 रुपये कम की लागत में ये ड्रेस खरीदी गई हैं. इन शिकायतों के बाद शासन सख्त हुआ है. राज्य शिक्षा केंद्र के आयुक्त धनराजू एस ने भी इस मामले को लेकर बैठक बुलाई है. साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग भी इस मामले की जांच करवा सकता है. इस पूरे मामले पर धनराजू एस ने कहा कि हमारा काम ड्रेस के लिए समय से राशि देना है. ड्रेस या कपड़ा खरीदने का काम राष्ट्रीय अजीविका मिशन का है. ड्रेस सिलवाने के लिए 130 दिनों का समय दिया गया था, लेकिन ये काम 120 दिनों में कर लिया गया. हम इस मामले की जांच करवाएंगे.
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