कर्नाटक जीतने के बाद मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएगी कांग्रेस,

भोपाल । कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अपना जीत का परचम लहराने वाली कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश उत्साहित दिख रही है। पार्टी यहां भी भ्रष्टाचार को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाएगी। पंचायत से मंत्रालय तक के भ्रष्टाचार से जुड़े विषयों को प्रामाणिकता के साथ उठाया जाएगा। विधानसभावार भाजपा की घेराबंदी होगी। मध्‍य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नवंबर में होने हैं।

आरोप पत्र में भी भ्रष्टाचार के मामलों को ही प्राथमिकता में रखा गया है। बड़े मामलों को लेकर प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सरकार को घेरेंगे तो अन्य मामले वरिष्ठ नेता उठाएंगे। 12 जून को राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा जबलपुर से विजय 2023 अभियान प्रारंभ करने के बाद प्रदेश कांग्रेस प्रचार अभियान को तेज करेगी।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव नवंबर में होने हैं। प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरने के लिए भ्रष्टाचार के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की कार्ययोजना बनाई है। इसमें राज्य स्तर पर बड़े-बड़े कार्यक्रम करने के स्थान पर विधानसभावार घेराबंदी की जाएगी।
प्रामाणिक दस्तावेजों के आधार पर भ्रष्टाचार के मामले जनता के सामने रखकर सरकार से उत्तर मांगा जाएगा। इंटरनेट मीडिया के सभी माध्यमों का उपयोग कर सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टालरेंस की नीति की पोल खोली जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ और दिग्विजय सिंह चुनिंदा मामलों को उठाएंगे तो वरिष्ठ नेता अलग-अलग जिलों में कार्यक्रम करके अन्य मुद्दे उठाएंगे।
तबादलों को लेकर भी घेराबंदी होगी क्योंकि भाजपा द्वारा कमल नाथ पर यह आरोप लगाया जाता है कि उनके मुख्यमंत्रित्व काल में तबादला उद्योग चल रहा था और वल्लभ भवन (राज्य मंत्रालय) भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ था।
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि 18 साल की शिवराज सरकार में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां भ्रष्टाचार न हुआ हो। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास हो या फिर नल जल योजनाएं, पूरक पोषण आहार हो या फिर निर्माण के काम, गणवेष वितरण, हर जगह भ्रष्टाचार की प्रामाणिक शिकायतें हैं। यह बात भाजपा के लोग भी कहते हैं। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में भ्रष्टाचार का खुलासा तो भाजपा विधायक ने ही किया था। भूमि का सीमाकंन, बंटवारा, नामांकन करना हो या फिर किसी शासकीय योजना का लाभ लेना हो, बिना लिए-दिए हो ही नहीं सकता है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रत्येक कार्यक्रम में हितग्राहियों से पूछते हैं कि किसी ने कुछ लिया तो नहीं। व्यापम, डंपर, ई-टेंडर से लेकर कई मामले हैं, जो जनता के बीच ले जाकर सरकार की वास्तविकता बताएंगे।
पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि प्रामाणिक दस्तावेजों के आधार पर मुद्दे उठाकर सरकार से उत्तर मांगा जाएगा। इसके लिए महालेखाकार के प्रतिवेदन, विधानसभा में दी गई जानकारी और सूचना का अधिकार के माध्यम से प्राप्त दस्तावेजों को आधार बनाया जा रहा है। शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्री गोपाल भार्गव, डा. नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, तुलसीराम सिलावट, महेंद्र सिंह सिसौदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, विश्वास सारंग कांग्रेस के निशाने पर रहेंगे। इनसे जुड़े विभागों के मामलों को प्रमुखता से उठाया जाएगा।

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