महाकाल लोक में तेज हवा के कारण गिरीं मूर्तियां , कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ, मंत्री भूपेंद्र सिंह

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा- कमलनाथ सरकार ने दी थी तकनीकी स्वीकृति - 
ठेकेदारों को कमलनाथ सरकार ने दो बार भुगतान किया ,एक सप्ताह में नई मूर्तियां लग जाएंगी

 मध्य प्रदेश। महाकाल लोक में तेज आंधी तूफान से गिरकर सप्तऋषियों की मूर्तियों के क्षतिग्रस्त होने के मामले में मौसम विभाग और उज्जैन संभागायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि महाकाल के निर्माण और मूर्तियों के लगवाने में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है । मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि उज्जैन संभागायुक्त की रिपोर्ट में मौसम विभाग के हवाले से लिखा है कि जब मूर्तियां गिरीं , जब वहां 57 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी । लेकिन हवा का चक्रवात महाकाल लोक में ऐसा बना कि मूर्तियां गिर गईं । उन्होंने बताया कि दस फीट के पेडस्टल पर करीब 11-11 फीट ऊंची मूर्तियां स्थापित की गई थीं , इस कारण मूर्तियां गिरी हैं । मूर्तियों की गुणवत्ता को लेकर कांग्रेस पार्टी द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि महाकाल लोक में सौ मूर्तियां एफआरपी की लगी हुई हैं , जिसके लिए कंपनियों को करीब 7.75 करोड़ का भुगतान किया गया है । कमलनाथ सरकार ने ही इसके लिए टेंडर जारी किए थे । कमलनाथ सरकार ने ही मूर्तियों की तकनीकी स्वीकृति दी थी । तत्कालीन प्रभारी मंत्री और प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा , नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह उज्जैन में बैठक ली थी , तब भी यह विषय आया था और उक्त मंत्रियों ने इसे स्वीकृति दी थी । मंत्री सिंह ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने ही ठेका कंपनियों को दो बार भुगतान भी दिया था । अब कांग्रेस किस कारण भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है , समझ से परे है । मंत्री सिंह ने कहा कि महाकाल लोक में कोई भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ है । अगर कांग्रेस भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है तो , इस मतलब है कि वह भ्रष्टाचार करती है । उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगातर आम जनता को गुमराह करने , लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का काम कांग्रेस पार्टी कर रही है । सरकार इस तरह के आरोपों के खिलाफ कार्रवाई भी करेगी ।

भारी वजनी होने के कारण क्षतिग्रस्त हुई मुर्तियां

मीडिया से चर्चा में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि महाकाल लोक में सौ से अधिक एफआरपी की मूर्तियां स्थापित है । इनमें से सप्त ऋषियों की मूर्तियां दस फीट ऊंचे स्तंभ पर स्थापित थी । इनमें से सात मूर्तियों की ऊंचाई 11 फीट की थी । ये मूर्तियां कमल कुंड , रुद्र सागर , त्रिवेणी मंडपम के बीच में स्थित होंने और तेज बांधी , बारिश के प्रभाव से दस फीट की ऊंचाई से गिरी और तीन क्विंटल वजनी होने के कारण यह क्षतिग्रस्त हुई । इनके निर्माण में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है । इस काम का कार्यादेश स्मार्ट सिटी कंपनी उज्जैन ने सात मार्च 2019 को जारी किया था । ठेकेदार को महाकाल रुद सागर एकीकृत विकास क्षेत्र फेज एक में शामिल विभिन्न कार्यों को स्कोप ऑफ वर्क एवं स्वीकृत दरों पर करने के निर्देश जारी किए गए थे । पौने आठ करोड़ की लागत से लगभग सौ मूर्तियां यहां लगाई गई थी ।
एफआरपी की मूर्तियां देश - विदेश में भी लगी हैं मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि 2018 में हमारी सरकार थी तब इसके टेंडर हुए । इसके बाद कांग्रेस सरकार आई और उस समय तकनीकी स्वीकृति हुई और 13 जनवरी 2020 को इसका भुगता हुआ । 28 फरवरी को भुगतान हुई उस समय कांग्रेस की सरकार थी और सज्जन सिंह वर्मा उज्जैन के प्रभारी मंत्री थे । उस समय के मुख्यमंत्री , नगरीय प्रशासन मंत्री और मुख्य सचिव की देखरेख में यह हुआ था । मंत्री ने कहा कि सिपेट ने इसका परीक्षण भी किय था । इस तरह की मूर्तियां देश और विदेशों में लगती रही हैं । एजेंसी को इनका तीन वर्ष के मेन्टेंनेस की जिम्मेदारी भी दी गई है ।
कांग्रेस गंदी राजनीति कर रही है

मंत्री ने कहा कि कांग्रेस इसमे गंदी राजनीति कर रही है और उसने एक भी तथ्य या प्रमाण नहीं दिया जिससे भ्रष्टाचार प्रमाणित होता हो । कांग्रेस के समय भुगतान हुआ मतलब उनके समय भ्रष्टाचार हुआ ऐसा वे मान रहे है । उन्होंने चुनौती दी कि कोई प्रमाण हो तो कांग्रेस प्रस्तुत करे नहीं तो प्रदेश की जनता से इसके लिए माफी मांगे । मंत्री ने कहा कि इस मामले में जांच की जरूरत होगी तो सरकार आगे जांच कराएगी । गुणवत्ता पूरी तरह अच्छी हो तो तकनीकी सलाह भी हम लेंगे और आगे ऐसी स्थिति नहीं बने यह सुनिश्चित करेंगे ।

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