संविदा इंजीनियर का वेतन 30 हजार अवैध संपत्ति करोड़ के पार

20 लग्जरी वाहन 100 डाग , दर्जनों दुधारू गाय , करोड़ों का फार्म हाऊस , कई एकड़ बेशमीकमती जमीन • पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन की संविदा इंजीनियर हेमा मीणा का वेतन 30 हजार , टीवी लागत 30 लाख , संपत्ति 7 करोड़ के पार ● लोकायुक्त को कुल अवैध संपत्ति आकलन में लगेगा समय , संविदा उपयंत्री हेमा मीणा की नियुक्ति ही संदिग्ध समय जगत निरंतर करता रहा है पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के घोटालों के खुलासे • यदि समय पर उच्चाधिकारी दे देते ध्यान , ले लेते संज्ञान तो भ्रष्टाचारियों के नहीं होते पूरे अ संविदा उपयंत्री के पास तो सीमित सेवा अल्प वेतन पर 7 करोड़ का माल उच्चाधिकारियों और वरिष्ठ ● ● इंजीनियरों की मिलीभगत से हुआ है अरबों का गोलमाल • पुलिस कर्मचारियों के आवासों में गुणवत्ता और मात्रा में किए गए घपले - घोटाले , पूरे प्रदेश में मिलीभगत से किए गए अरबों के वारे - न्यारे




भोपाल । हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा पुनः भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस पर जोर देते हुए विभागों को भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के निर्देश दिये गये हैं । जिसका असर प्रदेश की व्यवस्था पर दिखने भी लगा है । उसी क्रम में जहां विभागों ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ चालान प्रस्तुत करने की सहमति / अनुमति देना प्रारंभ कर दिया है वहीं लोकायुक्त द्वारा भी लंबित शिकायतों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही करने की शुरूआत कर दी गई ।



इसी क्रम में विगत अनेक वर्षों से घपले - घोटालों के लिये चर्चित पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन की शिकायतों को भी खंगालकर छापे डालने की शुरूआत कर दी है । जिसमें 30 हजार रुपये महीने का वेतन पाने वाली एक मामूली संविदा उपयंत्री , जिसकी नियुति से लेकर वरिष्ठता तक सभी कुछ फर्जी और अवैध है । उस पर की गई कार्यवाही में जहां उसके करोड़ों के फार्महाउस में 30 लाख का टीवी , 20 लेजरी गाड़ियां , 100 कीमती कुले , दर्जनों दुधारू गाय के साथ भोपाल सहित आसपास के जिलों में परिजनों के नाम से क्रय की गई करोड़ों की सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि के दस्तावेजों के साथ खेती किसानी के मूल्यवान उपकरणों के साथ आश्चर्यजनक बात तो यह है कि कार्पोरेशन एवं उपकरण पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के बेसक्रीमती बरामद हुए है । साथ ही जमीन , ज्वेलरी एवं बैंक एकाउंट के मूल्यांकन में तो लोकायुत को और भी अधिक समय लगने की संभावना है , जो कि अवैध संपत्ति के घोषत आंकड़े से भी अधिक होने की संभावना है । 


हालांकि यह कार्यवाही उच्चधिकारियों एवं वरिष्ठ इंजीनियर्स को लखित शिकायतों की जांच के आधार पर प्रारंभ होती तो सुशासन की दिशा में और में अधिक प्रभावी संदेश होता । यों कि जब एक अदने से संविदा कर्मचारी की यह स्थिति है तो विभाग के तकनीकी मुखिया , जिनकी प्रारंभ से लेकर वर्तमान पदस्थति तक की संदिग्ध प्रक्रिया और गोलमाल को लेकर विभिन्न स्तरीय जांचों का क्रम शासन स्तर पर प्रक्रियाधीन है । जिसमें किराये से वाहन लेने संबंधी करोड़ों के घोटाले एवं जीएसटी चोरी तथा कनकी बालाघाट परियोजना में 60 करोड़ के निष्फल व्यय , ग्वालियर आवास परियोजना में बगैर अनुमति के 15 करोड़ से अधिक का व्यय , जबलपुर की फायर रेंज के घटिया निर्माण को ध्वस्त कर उसकी नस्ती तक को नेस्तनाबूत करना तथा डीआईजी एवं कार्यालय सागर की घटिया छत निर्माण पर तत्कालीन अध्यक्ष श्री कंबर के द्वारा निर्देशित जांच की नस्ती को गायब करवाकर फर्जी प्रमोशन प्राप्त कर निगम का तकनीकी मुखिया बनने संबंधी गोलमाल की अनेकों बानगी है । जिन्हें समय- समय पर समूह के द्वारा निष्पक्षता , निर्भीकता के साथ प्रकाशित कर शासन , विभाग , निगम लोकायुत संगठन तक पहुंचाया गया है । इस संबंध में भ्रष्टाचार से जुड़े इन अधिकारियों द्वारा समूह के संवाददाताओं से फोन पर अनर्गल प्रलाप भी किया गया । फिर भी समूह निडरता और निर्भीकता के साथ मुख्यमंत्री , सरकार और लोकायुत की जीरो टालरेंस की नीति का सेमान करते हुए अपने हिस्से की ईमानदारी का निर्वहन कर रहा है तथा प्रदेश में निगम के गुणवताहीन या निष्फल अनुपयोगी कार्यों विषयक संवाददाताओं से प्राप्त जानकारी तथा आरटीआई से प्राप्त अभिलेखों का परीक्षण कर निगम के घपले- घोटालों को प्रकाशित करने के लिये प्रतिबद्ध है । 

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