सदन में गलत तथ्य रखने और बयान देने पर पूर्व मंत्री पटवारी ' निलंबित '


दरअसल , पटवारी ने पहले एक कहानी सुनाते हुए अपरोक्ष रूप से मुख्यमंत्री पर की कार्यवाही तीन बार आरोप लगाए । बाद में उन पर पारिवारिक हमला किया । तीसरी बार उन्होंने गुजरात स्थगित करनी पड़ी के जू में टाइगर , शेर आदि भेजने के बदले छिपकली लेने का मुद्दा उठा दिया ।

Bhopal  विधानसभा के बजट सत्र में चौथे दिन गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ । सदन में गलत बयान देने पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कांग्रेस सदस्य जीतू पटवारी को बाकी बचे बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया । यह सब घटनाक्रम करीब पौने तीन घंटे तक चला । अध्यक्ष गौतम के साथ बंद कमरे में दो दौर की चर्चा हुई । गौतम ने पटवारी को गलत बयान के लिए खेद व्यक्त करने का अवसर दिया , किंतु पटवारी नहीं माने । अध्यक्ष के कक्ष में नेता प्रतिपक्ष डॉ . गोविंद सिंह ने भी समझाइश दी । इस दौरान सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी । अंत में अध्यक्ष गौतम ने संसदीय कार्यमंत्री डॉ . नरोत्तम मिश्रा के प्रस्ताव पर सदन की सहमति से पटवारी को निलंबित कर दिया । दरअसल , पटवारी ने पहले एक कहानी सुनाते हुए अपरोक्ष रूप से मुख्यमंत्री पर आरोप लगाए । बाद में मुख्यमंत्री पर पारिवारिक हमला किया । तीसरी बार उन्होंने गुजरात के जू में टाइगर , शेर आदि भेजने के बदले छिपकली लेने का मुद्दा उठा दिया । सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि यह गलत बयान दे रहे हैं । 
सदन में गलत तथ्य ... वन मंत्री बोले- मुझे पटवारी के तथ्यों की जानकारी ही नहीं : सदन में कांग्रेस सदस्य जीतू पटवारी ने गुजरात के जामनगर में स्थित ग्रींस जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिटेशन सेंटर को बंगाल टाइगर , शेर , घड़ियाल , बंगाल फॉक्स , हनी बैजर के बदले छिपकली , तोता , सांप आदि वन्य जीव मप्र के जू में मंगाने का गंभीर आरोप लगाया । यह जू ( चिड़ियाघर ) चूंकि अंबानी परिवार का है , इसलिए मामले में और तूल पकड़ा । केंद्र सरकार के वन मंत्रालय के पत्राचार में भी विधानसभा सचिवालय ने प्रति मुहैया कराई थी । किंतु उन्होंने इसे मप्र वन विभाग से जोड़ दिया । इस पर वन मंत्री विजय शाह ने भी बाद में मीडिया को बताया कि उन्हें तो इस संबंध में जानकारी ही नहीं है । इस मामले में पटवारी सीधे तौर पर सदन में गलत जवाब दे रहे हैं । फिर से कोई प्रस्ताव आने पर निलंबन हो 
पटवारी बोले- धरना दूंगा , प्रजापति ने कहा वे अकेले ही दें धरना सदन में कार्यवाही के दौरान पटवारी ने जो तथ्य रखे है और जो बयान दिए है दोनों में असमानता है । उन्होंने जो आरोप लगाए उसमे मिलता है । ऐसे में इसे सदन को गुमराह करने की श्रेणी में माना गया । इस मामले में सदन में हंगामे के बीच अध्यक्ष ने दोनों पक्षों को अपने कक्ष में चर्चा के लिए बुलाया । बताते है कि वहां गलत बयान देने पर खेद प्रकट करने को कहा गया । कांग्रेस के सदस्यों ने व नेता प्रतिपक्ष ने भी उन्हें समझाइश दी । पर वे नहीं माने । सदन से निलंबित किए जाने की घोषणा के बाद भी वे कुछ कहना चाह रहे थे , पर उन्हें अध्यक्ष ने अनुमति नहीं दी । बाद में वे सदन से निकल गए । पटवारी ने अध्यक्ष के खिलाफ भी नारेबाजी की । उन्होंने पहले कहा कि इसके विरोध में वे आमरण अनशन करेंगे । हालांकि , कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा के बाद वे सदन से चले गए । अध्यक्ष चूंकि पहले ही सदन की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी , ऐसे में कोई भी सदस्य सदन में नहीं रूका । कांग्रेस के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कहा कि पटवारी अभी अकेले धरने पर बैठेंगे । सभी सदस्यों के बारे में बाद में निर्णय लिया जाएगा । हालांकि , कोई धरना नहीं हुआ ।
नरोत्तम ने कहा - पटवारी हमेशा से झूठ बोलते हैं सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान भाजपा के वरिष्ठ सदस्य डॉ . सीतासरन शर्मा के वक्तव्य का जवाब देते हुए कांग्रेस सदस्य पटवारी ने तीन बार सत्तापक्ष पर गंभीर आरोप लगाए । इस दौरान दोनों पक्षों की तरफ से भारी हंगामा हुआ । सत्तापक्ष के सदस्य पटवारी के उक्त आरोपों को पहले कार्यवाही से हटाने की मांग रखी , फिर माफी पर अड़ गए । संसदीय कार्यमंत्री डॉ . नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि पटवारी हमेशा से झूठ बोलते हैं । वे सदन में गलत बयान देते हैं । ऐसे सदस्य को गलत बयान देने पर जरा भी संकोच नहीं होता । इससे सदन की मर्यादा भंग होती है । बात यहां तक बढ़ गई कि सत्ता पक्ष के सदस्यों ने पटवारी से माफी मांगने को कहा । किंतु हंगामा और बढ़ गया । सदन में हंगामें के बीच कार्यवाही 5-5 मिनट के लिए तीन बार स्थगित करना पड़ी ।

भूपेंद्र बोले- सदन से निष्कासित करने तक का प्रावधान सदन के इतिहास में दूसरी बार निलंबन वरिष्ठ सदस्य व मंत्री भूपेंद्र सिंह सदन में आक्रामक दिखे । उन्होंने सदन की कार्यसंचालन संबंधी नियमों को पढ़कर सुनाया । उन्होंने कहा कि इस तरह से सदन के पटल पर गलत तथ्य रखने पर धारा 264 में स्पष्ट प्रावधान है कि ऐसे सदस्य को पहले निलंबित किया जाए । इसके बाद भी गलत तथ्य रखने पर सदन से निष्कासित करने तक का प्रावधान है । उन्होंने कहा कि पटवारी ने उसी तरह का कृत्य किया है । उन्होंने कहा कि एक भी प्रमाण उन्होंने स्पष्ट तौर पर नहीं रखा है । मप्र विधानसभा के इतिहास में दूसरी बार किसी विधायक को निलंबित किया गया । पहली बार 1998 में मुलताई में गोलीकांड प्रकरण के दौरान तत्कालीन सपा नेता डॉ . सुनीलम को हंगामा करने व गलत आरोप लगाने पर मार्शलों ने सदन से बाहर कर दिया था । दूसरी बार इस तरह की घटना हुई , जिसमें कांग्रेस सदस्य जीतू पटवारी को निलंबित किया गया है । मप्र विधानसभा के अब तक में इतिहास में इस घटना को लंबे समय तक याद किया जाएगा ।

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